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स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी

लिङ्गाष्टकम्

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

It is believed that typical chanting of Chalisa brings happiness, peace, and prosperity while in the lives of your devotees.

अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें Shiv chaisa क्षमा कर देना।

अर्थ: हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

संकट से मोहि आन उबारो ॥ मात-पिता भ्राता सब होई ।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।

एक कमल प्रभु राखेउ Shiv chaisa जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

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